मिट्टी के करवा का होता है महत्व, कुंभकारों के पास पहले से होती है बुकिंग
करवाचौथ और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन होगी. संकष्टी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए उपवास रखा जाता है. करवाचौथ के दिन मां पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. मां के साथ-साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश की पूजा की जाती है. करवाचौथ की पूजा के दौरान मिट्टी के करवा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग सुहागिन महिला को दान में दिया जाता है. वैसे तो लोग स्टील के बर्तन से भी चंद्रमा को अर्घ देते हैं. लेकिन इसमें मुख्य महत्व मिट्टी के करवे का होता है. आज भी बाजारों में लोगों की पहली पसंद मिट्टी के करवे हैं. कुंभकारों के यहां इसे बनाने के लिए पहले से बुकिंग हो जाती है.



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