हम समाज सुधार की कितनी ही बड़ी-बड़ी बातें कर ले, लेकिन बेटियों के मामले में आज भी हमारी सोच पूरी तरह से नहीं बदल पाई है। समाज में आज भी बेटियों को बोझ ही समझा जाता है। हमारे यहां आज भी बेटी पैदा होते ही उसके लालन पालन से ज्यादा उसकी शादी की चिन्ता होने लगती है।

समाज को झकझोरने वाली एक शर्मनाक घटना से आप को मै अवगत करवाना चाहूूूॅंगा राजस्थान के चूरू जिले की तारानगर तहसील के घासला अगुणा गांव में एक फौजी ने अपनी दो दिन की नवजात बेटी को पानी से भरी बाल्टी में डूबोकर मार डाला। आप को जानकार आश्चार्य होगा की ये आरोपी फौजी है। आरोपी फौजी अशोक जाट के 14 महीने की एक बेटी और है। अशोक बेटी होने पर अपनी पत्नी को ताने देने लगा। बोला-एक बेटी पहले से ही है। अब दूसरी भी हो गई। इनका पालन-पोषण कैसे करूंगा। पहले से ही बैंक का कर्जा है। ये जिंदा रही तो मैं 20 साल पीछे चला जाऊंगा। हम चाहे समाज सुधार की कितनी ही बड़ी-बड़ी बातें कर ले, लेकिन बेटियों के मामले में आज भी हमारी सोच पूरी तरह से नहीं बदल पाई है। समाज में आज भी बेटियों को बोझ ही समझा जाता है। हमारे यहां आज भी बेटी पैदा होते ही उसके लालन पालन से ज्यादा उसकी शादी की चिन्ता होने लगती है। आज महंगी शादियों के कारण बेटी का हर बाप हर समय इस बात को लेकर फिक्रमन्द नजर आता है कि उसकी बेटी की शादी की व्यवस्था कैसे होगी। समाज में व्याप्त इसी सोच के चलते कन्या भ्रूण हत्या पर रोक नहीं लग पाई है। कोख में कन्याओं को मार देने के कारण समाज में आज लड़कियों की काफी कमी हो गई है।

समाज में लड़कियों की इतनी अवहेलना, इतना तिरस्कार चिंताजनक और अमानवीय है। एक मानव निर्मित समस्या है, जो कमोबेश देश के सभी हिस्सों, जातियों, वर्गों और समुदायों में व्याप्त है। भारतीय समाज में गहरायी तक व्याप्त
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