कन्नौज इन्दरगढ़
दर्शन राजपूत
इस समय योगी सरकार सब पढ़े सब बढें पर जोर देकर स्कूलों से गाँवों तक स्कूल चलो अभियान के तहत रैलियाँ निकलवाकर वच्चों व उनके माता पिता को वच्चो को स्कूल भेजने के लिए जागरूक कर रही है वही आज कल गेहूँ के खेतो मे स्कूल जाने वाले वच्चे वालियां वीनते नजर आरहे है लोगो की माने तो मास्साहव स्कूल समय से आ जाते हैं लेकिन उन्हें क्या चाहे चार वच्चे आये या 10 उनका तो एन्ड्रइड मोवाइल हाथ में है ज्वादा हुआ तो थोडा़ वहुत काम देकर पूरा टाइम फोन करने या फोन चलाने मे वीत जाता है कही कही तो रैलियाँ तो दूर मास्टर साहव स्कूल आते है कब वच्चे देखकर कहते हैं कि आज ज्वादा टेंसन नही लेना पडेगा क्यो कि चार वच्चे हो या दस उनकी फीस तो महीने में पूरी मिलेगी अब सवाल ये है कि प्राइवेट स्कूलो मे इस समय अच्छी खासी वच्चो की संख्या देखने को मिलेगी क्यो कि वह गांव गली में जाकर लोगो से सम्पर्क कर अच्छी शिच्छा देने का वादा करते है और वह मेहनत भी करते है लेकिन वही सरकारी स्कूलों मे किसी मे दस तो किसी मे पन्द्रह वच्चे ही देखने को मिलेगे अब सरकार अच्छी शिच्छा देने का वादा करती है तो करती रहे हमे क्या मास्टर साहब तब जैसे थे वैसे अब एसे मे कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे वढ़ेगा इंडिया
दर्शन राजपूत
इस समय योगी सरकार सब पढ़े सब बढें पर जोर देकर स्कूलों से गाँवों तक स्कूल चलो अभियान के तहत रैलियाँ निकलवाकर वच्चों व उनके माता पिता को वच्चो को स्कूल भेजने के लिए जागरूक कर रही है वही आज कल गेहूँ के खेतो मे स्कूल जाने वाले वच्चे वालियां वीनते नजर आरहे है लोगो की माने तो मास्साहव स्कूल समय से आ जाते हैं लेकिन उन्हें क्या चाहे चार वच्चे आये या 10 उनका तो एन्ड्रइड मोवाइल हाथ में है ज्वादा हुआ तो थोडा़ वहुत काम देकर पूरा टाइम फोन करने या फोन चलाने मे वीत जाता है कही कही तो रैलियाँ तो दूर मास्टर साहव स्कूल आते है कब वच्चे देखकर कहते हैं कि आज ज्वादा टेंसन नही लेना पडेगा क्यो कि चार वच्चे हो या दस उनकी फीस तो महीने में पूरी मिलेगी अब सवाल ये है कि प्राइवेट स्कूलो मे इस समय अच्छी खासी वच्चो की संख्या देखने को मिलेगी क्यो कि वह गांव गली में जाकर लोगो से सम्पर्क कर अच्छी शिच्छा देने का वादा करते है और वह मेहनत भी करते है लेकिन वही सरकारी स्कूलों मे किसी मे दस तो किसी मे पन्द्रह वच्चे ही देखने को मिलेगे अब सरकार अच्छी शिच्छा देने का वादा करती है तो करती रहे हमे क्या मास्टर साहब तब जैसे थे वैसे अब एसे मे कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे वढ़ेगा इंडिया



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