दुनिया में सब सच कहते माँ शब्द अपने आप में परिपूर्ण है दुनिया में हम चाहे कितने भी रिश्ते से क्यू न बधे हुए है लेकिन माँ के बिना हमारा जीवन अधुरा होता है हर रिश्ते को आप से कुछ पाने की आस रहता है लेकिन माँ का पुत्र के बीच एक ऐसा रिश्ता है जो एक माँ अपने अपने संतान को जीवनपर्यन्त सिर्फ देना जानती है माँ भूखी सो सकती है लेकिन कभी भी अपने संतान को भूखे पेट सोना सपने में भी नही देखना चाहती है माँ तो हर वक्त अपने संतान के कल्याण की बात सोचती है की किस प्रकार उसकी संतान आगे बढे और जग में नाम करे
दुनिया में सब सच कहते माँ शब्द अपने आप में परिपूर्ण है दुनिया में हम चाहे कितने भी रिश्ते से क्यू न बधे हुए है लेकिन माँ के बिना हमारा जीवन अधुरा होता है हर रिश्ते को आप से कुछ पाने की आस रहता है लेकिन माँ का पुत्र के बीच एक ऐसा रिश्ता है जो एक माँ अपने अपने संतान को जीवनपर्यन्त सिर्फ देना जानती है माँ भूखी सो सकती है लेकिन कभी भी अपने संतान को भूखे पेट सोना सपने में भी नही देखना चाहती है माँ तो हर वक्त अपने संतान के कल्याण की बात सोचती है की किस प्रकार उसकी संतान आगे बढे और जग में नाम करे



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