फतेहपुर चौरासी उन्नाव
उन्नाव ब्यूरो मोहित मिश्रा
क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ से सड़कें कटने, फसले नष्ट होने, लोगों के बेघर हो जाने आदि का मंजर चारो तरफ दिखाई दे रहा है।लोगों को निकलने के लिए रास्ता नही मिल रहा है, किसानों की फसलें नष्ट हो गई हैं,कच्चे पक्के मकान गिर जाने से सिर छिपाने की जगह नही मिल रही है।स्वच्छ पानी पीने को नही मिल रहा है, गाँवो में कीचड़ गन्दगी का साम्राज्य फ़ैल गया है।ग्रामीण संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका से ग्रसित हैं।स्वास्थ्य विभाग भी उनकी सेहत को लेकर संजीदा नही है यदि संजीदा होता तो अटिया गाँव के चन्दू की मौत बुखार उलटी दस्त से न होती और पूरा परिवार संक्रामक बीमारी की चपेट में न आता।
गंगा नदी का जल स्तर धीरे धीरे कम हो रहा है लेकिन आज भी बाढ़ से परेशान गामीण राहत की सांस नही ले पा रहे हैं। गांवो को जाने वाले संपर्क मार्गे पर बाढ़ का पानी भर जाने के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए है और कही कही तो आज भी पानी भरे होने के कारण वह अपने घरों तक नही पहुंच पा रहे है और जो कुछ लोग अपने मकानों की छत पर या घरो में फसे है उन्हें चारो तरफ पानी भरे होने की वजह से बाहर सब्जी खरीदने या सुबह शामशौच आदि के लिए जाने में काफी दिक् गकतों का सामना करना पड़ रहा है ऐसे इलाको में अभी तक इसी पेपर के संवादाता मोहित मिश्रा ने जब ग्रामीणों से बात की तो ग्रामीणों ने बताया कि सरकार की तरफ से अभी तक किसी भी प्रकार की कोई मदद नही की गई है।हम जब भी बाहर आते जाते है तो पानी से होकर ही जाते है इतना ही नही घरो के चारो तरफ पानी भरा हुवा है जिसके कारण जहरीले कीड़े मकोड़ो का भी डर लगा रहता है और हम लोग सो भी नही पाते है और साथ ही विद्यालयों में भी पानी भरे होने के कारण बच्चे विद्यालय नही जा पा रहे है।
जिसमे शामिल गाँव ,हुसैनपुर, लोनार,विशरीमऊ,जमुनिहा,महपरापुर, रनियामऊ, भिखारीपुर,खुशरूपुर के लिए जाने वाले मार्ग पर पानी भरा हुआ है वही दूसरी तरफ तोरना बदलापुर,मन्नानगरी,गड़ाई कुसेहरबंग्ला,जाजामऊ, समसापुर भूड़, अटीया, कबूलपुर, उम्मरपुर पीतम ,नरीगाड़ा, आदि गांव जाने वाले मार्गो पर बाढ़ के पानी के बहाव के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त है और कही कही आज भी बाढ़ का पानी भरा हुवा है जिससे वहाँ का जन जीवन अस्त ब्यस्त है।
बाढ़ की वजह से हजारों बीघा खड़ी धान, मक्का, बाजरा,तिल्ली,उर्द, आदि की फसलें बाढ़ में जलमग्न होकर चली गयी है अब किसान सरकार से आस लगाए हुवे है कि मौजूदा सरकार उनकी की मदद करेगी जिससे वो आगे आने वाले समय मे गेंहू , सरसों, आदि की फसलों को बो सकें।सबसे बड़ी समस्या पुनः अपनी गृहस्थी को व्यवस्थित करने कीहै।क्योंकि कटरी के गांवों में अधिकांशमकान कच्चे बने हैं।सरकार द्वारा मिलने वाले आवास एक तो पात्रों को मिलते नही दूसरे प्रधानों व पंचायत कर्मियों की लूट खसोट रूपी भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं।संवेदनहींन सरकारी कर्मचारी व जनप्रतिनिधि अपने ही गाँव के लोगों के साथ भेदभाव करके सरकारी लाभ से भी वंचित कर देते हैं।गंगा व कल्याणी नदी के दोआब मे फंसे गाँव हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका से चिंतित रहते हैं।उनकी आपदाओं को कुछ लोग कमाई का जरिया बनाने से भी नही चूकते हैं।समुचित स्वास्थ्य सेवाएं भी नही मिल पाती हैं।बाढ़ ग्रस्त लोगों की माँग है कि बाढ़ कम होने पर सड़को को दुरुस्त कराया जाये, स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांवों में ही दवाएं आदि उपलब्ध कराएं, कोटेदारों पर सख्ती करके समय पर पूरा राशनव मिट्टी का तेलदिलाया जाय, बेघर हुए लोगों को आवास दिया जाये।
उन्नाव ब्यूरो मोहित मिश्रा
क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ से सड़कें कटने, फसले नष्ट होने, लोगों के बेघर हो जाने आदि का मंजर चारो तरफ दिखाई दे रहा है।लोगों को निकलने के लिए रास्ता नही मिल रहा है, किसानों की फसलें नष्ट हो गई हैं,कच्चे पक्के मकान गिर जाने से सिर छिपाने की जगह नही मिल रही है।स्वच्छ पानी पीने को नही मिल रहा है, गाँवो में कीचड़ गन्दगी का साम्राज्य फ़ैल गया है।ग्रामीण संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका से ग्रसित हैं।स्वास्थ्य विभाग भी उनकी सेहत को लेकर संजीदा नही है यदि संजीदा होता तो अटिया गाँव के चन्दू की मौत बुखार उलटी दस्त से न होती और पूरा परिवार संक्रामक बीमारी की चपेट में न आता।
गंगा नदी का जल स्तर धीरे धीरे कम हो रहा है लेकिन आज भी बाढ़ से परेशान गामीण राहत की सांस नही ले पा रहे हैं। गांवो को जाने वाले संपर्क मार्गे पर बाढ़ का पानी भर जाने के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए है और कही कही तो आज भी पानी भरे होने के कारण वह अपने घरों तक नही पहुंच पा रहे है और जो कुछ लोग अपने मकानों की छत पर या घरो में फसे है उन्हें चारो तरफ पानी भरे होने की वजह से बाहर सब्जी खरीदने या सुबह शामशौच आदि के लिए जाने में काफी दिक् गकतों का सामना करना पड़ रहा है ऐसे इलाको में अभी तक इसी पेपर के संवादाता मोहित मिश्रा ने जब ग्रामीणों से बात की तो ग्रामीणों ने बताया कि सरकार की तरफ से अभी तक किसी भी प्रकार की कोई मदद नही की गई है।हम जब भी बाहर आते जाते है तो पानी से होकर ही जाते है इतना ही नही घरो के चारो तरफ पानी भरा हुवा है जिसके कारण जहरीले कीड़े मकोड़ो का भी डर लगा रहता है और हम लोग सो भी नही पाते है और साथ ही विद्यालयों में भी पानी भरे होने के कारण बच्चे विद्यालय नही जा पा रहे है।
जिसमे शामिल गाँव ,हुसैनपुर, लोनार,विशरीमऊ,जमुनिहा,महपरापुर, रनियामऊ, भिखारीपुर,खुशरूपुर के लिए जाने वाले मार्ग पर पानी भरा हुआ है वही दूसरी तरफ तोरना बदलापुर,मन्नानगरी,गड़ाई कुसेहरबंग्ला,जाजामऊ, समसापुर भूड़, अटीया, कबूलपुर, उम्मरपुर पीतम ,नरीगाड़ा, आदि गांव जाने वाले मार्गो पर बाढ़ के पानी के बहाव के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त है और कही कही आज भी बाढ़ का पानी भरा हुवा है जिससे वहाँ का जन जीवन अस्त ब्यस्त है।
बाढ़ की वजह से हजारों बीघा खड़ी धान, मक्का, बाजरा,तिल्ली,उर्द, आदि की फसलें बाढ़ में जलमग्न होकर चली गयी है अब किसान सरकार से आस लगाए हुवे है कि मौजूदा सरकार उनकी की मदद करेगी जिससे वो आगे आने वाले समय मे गेंहू , सरसों, आदि की फसलों को बो सकें।सबसे बड़ी समस्या पुनः अपनी गृहस्थी को व्यवस्थित करने कीहै।क्योंकि कटरी के गांवों में अधिकांशमकान कच्चे बने हैं।सरकार द्वारा मिलने वाले आवास एक तो पात्रों को मिलते नही दूसरे प्रधानों व पंचायत कर्मियों की लूट खसोट रूपी भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं।संवेदनहींन सरकारी कर्मचारी व जनप्रतिनिधि अपने ही गाँव के लोगों के साथ भेदभाव करके सरकारी लाभ से भी वंचित कर देते हैं।गंगा व कल्याणी नदी के दोआब मे फंसे गाँव हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका से चिंतित रहते हैं।उनकी आपदाओं को कुछ लोग कमाई का जरिया बनाने से भी नही चूकते हैं।समुचित स्वास्थ्य सेवाएं भी नही मिल पाती हैं।बाढ़ ग्रस्त लोगों की माँग है कि बाढ़ कम होने पर सड़को को दुरुस्त कराया जाये, स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांवों में ही दवाएं आदि उपलब्ध कराएं, कोटेदारों पर सख्ती करके समय पर पूरा राशनव मिट्टी का तेलदिलाया जाय, बेघर हुए लोगों को आवास दिया जाये।





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