*पुलिस कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान।*
सर्वविदित है कि विगत कई महीनों से अजनर थाना क्षेत्र के टिकरिया, आरी,जैलवारा,मगरिया, अजनर सहित दर्जनों गांवों में बड़े पैमाने पर अवैध शराब की बिक्री कर शराब माफिया राजस्व को लाखों की क्षति पहुंचा रहे हैं।इन दंवग माफियाओं के सामने पुलिस नाकाम साबित हो रही हैं, या नतमस्तक हैं।अभी कुछ दिन पूर्व पुलिस की नाक के नीचे अजनर कस्बे मे आबकारी टीम ने नकली शराब का जखीरा बरामद कर पुलिस कार्यप्रणाली की पोल खोल दी थी।आबकारी अधिकारियों द्वारा बताया गया था कि लंबे अरसे से थाने से कुछ मीटर की दूरी पर अवैध रूप से शराब बेचने का धंधा चल रहा था।
इस बरामदगी से पुलिस की काफी तौहीन हुई थी।जिस शर्मिंदगी के चलते थाना प्रभारी ने स्टाफ के पेंच कसने के साथ ही शराब ठेकेदारों व शराब के अवैध कारोबार मे लिप्त लोगों की मीटिंग बुला हिदायत दी थी। लेकिन इस थाने मे सब उल्टा ही चलता हैं, यहां साहब की नही पुलिस कर्मियों की तूती बोलती हैं उन्हीं की मर्जी से अवैध खनन, ओवरलोड ट्रक,डम्पर, प्रतिबंधित वस्तुएं उ.प्र.मे म.प्र.यहां से वहां करना सब सुविधा शुल्क देकर इन्हीं कुछ सिपाहियों की इच्छा कृपा पर निर्भर होता हैं।प्रभारी महोदय मूर्ति बने सीट पर बैठे रहते थाने का संचालन दो तीन पुलिस कर्मी ही करते हैं।
ऐसा ही एक मामला आज देखने को मिला जब थानाध्यक्ष को सूचना दी गई कि टिकरिया गांव मे अभी अभी एक माफिया बिक्रेता के यहां आठ पेटी अवैध शराब पहुंची है और अमुक स्थान पर रखी हैं, काफी आनाकानी के बाद जब सटीक खबर होने की गारंटी दी गई तब उन्होंने पुलिस कर्मियों को भेजा और उन्हीं संरक्षण दाता को।जिनके पहुंचने से पूर्व माफिया को फोन पर जानकारी दे दी गई कि हम आ रहे दरबाजा नही खोलना, और ऐसा ही हुआ पुलिस खाना पूरी कर लौट आई दरबाजा नही खोला गया।
इनकी कार्यकुशलता के लिए पुरुस्कृत किया जाना चाहिए।
तीन दिन पूर्व भी आबकारी अनुज्ञापी द्वारा थानाध्यक्ष को अवैध शराब जखीरा की जानकारी दी गई थी पर पुलिस उदासीन रही कोई कार्यावाही नही की गई।
पुलिस संरक्षण मे चल रहे अवैध शराब बिक्री से शराब ठेकेदार बुरी तरह प्रभावित है,आरोप हैं कि पुलिस कर्मियों की शह पर पूरे क्षेत्र में अवैध कारोबार फल फूल रहा हैं।जिससे राजस्व की क्षति हो रही हैं।पुलिस अधीक्षक एवं जिलाधिकारी से कार्रवाई की मांग की गई।



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