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/ ब्यूरो चीफ दिनेश सिंह कुशवाहा की रिपोर्ट*

स्कूल संचालकों के सामने दम तोड़ते मानक ,गाइडलाइन का उड़ा रहे माखौल,
जानकर भी अनजान बने विभागीय अफसर ,सत्यापन के नाम पर कर रहे हैं खानापूर्ती कभी नहीं होती फिटनेस की जांच
 LPG से चलती है स्कूल पहन वैन और मैजिक है प्रतिबंधित मानकों का नहीं होता पालन
शहर के एक स्कूल के बाहर खड़ी स्कूली बस का हाल।
जिले में खटारा स्कूली बसों का संचालन धड़ल्ले से जारी है। इन बसों के संचालन से बच्चों की सुरक्षा को खतरा रहता है। जबकि नियम के विपरीत अधिकांश स्कूल संचालकों द्वारा स्टाफ वाहनों में भी बच्चों को ढोया जाता है।जिले में जो निजी स्कूल हैं। आए दिन बच्चों के साथ हो रहे  हादसों के बाद भी जिले में ओवरलोड स्कूली वाहनों पर लगाम नहीं लग पा रही है। इसे लेकर, अभिभावक और प्रशासन भी गंभीर नहीं है।  इस रेल हादसे ने लोगों को झकझोर दिया था। लेकिन न तो प्रशासन और न ही विभाग ने कोई सबक लिया। स्टाफ ढोने वाले वाहनों पर ही बच्चों को ढोने का काम किया जा रहा है। नियम के विपरीत 15 वर्ष पुरानी बसें भी सड़कों पर दौड़ रही है। स्कूल वाहन के लिए केवल बसें ही अनुमन्य हैं।


 *ब्यूरो रिपोर्ट- दिनेश सिंह कुशवाहा जिला संवाददाता बांदा  चित्रकूट उत्तर प्रदेश*
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