ब्यूरोचीफ की खास रिपोर्ट
: अबोहर फाजिल्का जिले में पढऩे की उम्र में भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। फिलहाल ऐसे बच्चों को इस बुरी प्रवृत्ति से हटाने वाला कोई नहीं। सितम की बात है कि ये बच्चे बस स्टैंड पर खड़ी सवारियों व राहगीरों से भीख मांग कर उनको भारी परेशान करते हैं। जब ये बच्चे भीख मांग रहे होते हैं तो यह सवाल बार-बार उठता है कि देश का बाल अधिकार कानून कहां है। केंद्र व राज्य सरकार को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, बल्कि ठोस कदम उठाने की सख्त जरूरत है। इसके अतिरिक्त कई गरीब बच्चे शहर में विभिन्न स्थानों से गत्ते, कागज या अन्य बिकने वाला सामान एकत्रित कर लेते हैं और बाद में इसको बेच कर अपना पेट पालते हैं।
क्या है असली कहानी?
जब भी बस स्टैंड पर कार या बस रुकती है तो बड़ी संख्या में नाबालिग बच्चे उस गाड़ी के आसपास इकट्ठा होकर लगातार शीशा खटखटा कर बसों या कारों के चालकों से भीख मांग कर उनको काफी परेशान करते हैं। उनको 5 या 10 रुपए देकर पीछा छुड़ाना पड़ता है, फिर ये नाबालिग बच्चे बस अड्डे की तरफ रुख कर वहां खड़ी सवारियों या मोटरसाइकिल चालकों के साथ भी यही व्यवहार करते हैं।
समाजसेवियों की मांग
समाज सेवी सुरिन्द्र मंगला, सुनील कुमार बंटी, डा. गुरबाज सिंह और जसपाल जस्सी का कहना है कि एक तरफ शिक्षा विभाग आर.टी.ई. (एक्ट) के तहत 6 से 14 साल तक के हर बच्चे के लिए शिक्षा का अधिकार को लाजिमी होने को सफल बनाने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगते बच्चे व होटलों और फैक्टरियों में हो रही मजदूरी सरकारों व शिक्षा विभाग के दावों को मुंह चिढ़ा रही है। उन्होंने तर्क दिया कि यदि केंद्र व पंजाब सरकार सचमुच आर.टी.ई. एक्ट को सही तरीके से लागू करना चाहती है तो सड़कों पर भीख मांग रहे व बाल मजदूरी कर रहे बच्चों को स्कूलों में ले जाकर पढ़ाने के लिए विशेष यत्न करे।
लेबर इंस्पैक्टर के साथ मिल कर ढूंढेंगे समाधान
बाल भलाई कमेटी मैंबर बलदेव ने कहा कि सरकार ने इस कमेटी में उनकी नियुक्ति 10 दिन पहले ही की है। वह सारी स्थिति का जायजा लेकर लेबर इंस्पैक्टर के साथ मिल कर इस बारे अपेक्षित कार्रवाई करने की हर संभव कोशिश करेंगे।
: अबोहर फाजिल्का जिले में पढऩे की उम्र में भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। फिलहाल ऐसे बच्चों को इस बुरी प्रवृत्ति से हटाने वाला कोई नहीं। सितम की बात है कि ये बच्चे बस स्टैंड पर खड़ी सवारियों व राहगीरों से भीख मांग कर उनको भारी परेशान करते हैं। जब ये बच्चे भीख मांग रहे होते हैं तो यह सवाल बार-बार उठता है कि देश का बाल अधिकार कानून कहां है। केंद्र व राज्य सरकार को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, बल्कि ठोस कदम उठाने की सख्त जरूरत है। इसके अतिरिक्त कई गरीब बच्चे शहर में विभिन्न स्थानों से गत्ते, कागज या अन्य बिकने वाला सामान एकत्रित कर लेते हैं और बाद में इसको बेच कर अपना पेट पालते हैं।
क्या है असली कहानी?
जब भी बस स्टैंड पर कार या बस रुकती है तो बड़ी संख्या में नाबालिग बच्चे उस गाड़ी के आसपास इकट्ठा होकर लगातार शीशा खटखटा कर बसों या कारों के चालकों से भीख मांग कर उनको काफी परेशान करते हैं। उनको 5 या 10 रुपए देकर पीछा छुड़ाना पड़ता है, फिर ये नाबालिग बच्चे बस अड्डे की तरफ रुख कर वहां खड़ी सवारियों या मोटरसाइकिल चालकों के साथ भी यही व्यवहार करते हैं।
समाजसेवियों की मांग
समाज सेवी सुरिन्द्र मंगला, सुनील कुमार बंटी, डा. गुरबाज सिंह और जसपाल जस्सी का कहना है कि एक तरफ शिक्षा विभाग आर.टी.ई. (एक्ट) के तहत 6 से 14 साल तक के हर बच्चे के लिए शिक्षा का अधिकार को लाजिमी होने को सफल बनाने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगते बच्चे व होटलों और फैक्टरियों में हो रही मजदूरी सरकारों व शिक्षा विभाग के दावों को मुंह चिढ़ा रही है। उन्होंने तर्क दिया कि यदि केंद्र व पंजाब सरकार सचमुच आर.टी.ई. एक्ट को सही तरीके से लागू करना चाहती है तो सड़कों पर भीख मांग रहे व बाल मजदूरी कर रहे बच्चों को स्कूलों में ले जाकर पढ़ाने के लिए विशेष यत्न करे।
लेबर इंस्पैक्टर के साथ मिल कर ढूंढेंगे समाधान
बाल भलाई कमेटी मैंबर बलदेव ने कहा कि सरकार ने इस कमेटी में उनकी नियुक्ति 10 दिन पहले ही की है। वह सारी स्थिति का जायजा लेकर लेबर इंस्पैक्टर के साथ मिल कर इस बारे अपेक्षित कार्रवाई करने की हर संभव कोशिश करेंगे।



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