आज दिनांक 4.3.2015 को  टड़ारायपुर में चल रही  श्री मद भागवत कथा के अन्तिम दिन आचार्य कौशलेंद्र दुवे तिर्वा ने कंस वध व सुदामा चरित्र का सुन्दर सुमधुर  तरीके से वर डन किया यदि हमने अपने मन को नियंत्रण कर लिया तो समझो आधा भजन हो गया उपस्थित लोगो से कहा कि दान को हमेशा गुप्त तरीके से करना चाहिए मन की सुधि के लिए भगवान का चिंतन अती आवश्यक है सुदामा को जीव तथा कृष्ण को भक्ति बताते हुए कहा कि भक्ति से ही जीव व ब्रह्म का मिलन संभव है रामचरित मानस में तुलसी दास ने कहा है कि मिलही न रघुपति विन अनुरागा किए कोटि जप जोग विरागा आर्थात हमें भगवान का स्मरण निश्चल मन से करना चाहिए अंत में उन्होंने ने अपने वांडी से अमृत घोल रसना भजन करतल ध्वनि से करवाया परीक्षित महेंन्द्र सिंह प्रधान व पत्नी सोन वती ने आरती पूजन कर प्रशाद वितरण करवाया
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